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दिल्ली: लाल किले में छत्तीसगढ़ की झांकी ने बढ़ाई सांस्कृतिक धरोहर की चमक, रामनामी समुदाय और जनजातीय कला की अनूठी झलक

नई दिल्ली के ऐतिहासिक लाल किले में आयोजित ‘भारत पर्व 2025’ में छत्तीसगढ़ की झांकी विशेष आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। यह झांकी राज्य की समृद्ध जनजातीय परंपराओं और रामनामी समुदाय की विशिष्ट संस्कृति को जीवंत रूप में प्रदर्शित करती है। भगवान श्रीराम के प्रति गहरी श्रद्धा के लिए प्रसिद्ध रामनामी समुदाय की अनोखी परंपराएं इस झांकी का मुख्य आकर्षण बनी हुई हैं, जो दर्शकों को प्रभावित कर रही हैं।

झांकी में छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक विविधता, पारंपरिक नृत्य, और शिल्प कला का शानदार प्रदर्शन किया गया है। यह राज्य की आदिवासी जीवनशैली और उनकी प्राचीन परंपराओं का जीवंत चित्रण प्रस्तुत करती है। जनजातीय कला और लोक जीवन की झलक ने न केवल भारत, बल्कि विदेशी पर्यटकों को भी राज्य की सांस्कृतिक धरोहर से परिचित कराया है।

‘भारत पर्व 2025’, जो गणतंत्र दिवस के अवसर पर पर्यटन मंत्रालय द्वारा आयोजित किया जा रहा है, भारतीय संस्कृति और परंपराओं को प्रदर्शित करने का एक प्रभावशाली मंच बना है। इस आयोजन में देशभर के विभिन्न राज्यों की झांकियां, सांस्कृतिक प्रदर्शन और स्थानीय व्यंजनों के स्टॉल जनता के बीच आकर्षण का कारण बने हुए हैं। छत्तीसगढ़ की झांकी ने ‘देखो अपना देश’ की थीम के तहत राज्य की सांस्कृतिक धरोहर और गौरव को देश और दुनिया के सामने पेश किया है।

यह आयोजन 26 जनवरी से 31 जनवरी तक प्रतिदिन दोपहर 12 बजे से रात 9 बजे तक खुला है। निशुल्क प्रवेश के साथ, यह अवसर दर्शकों को भारत की सांस्कृतिक विविधता और आधुनिक विकास का अनुभव करने का अनूठा मौका दे रहा है। लाल किले के प्रांगण में छत्तीसगढ़ की झांकी को देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग पहुंच रहे हैं, जो राज्य की कला और संस्कृति का राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रचार कर रही है।

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